*@ २० जून @*
*जागतिक शरणार्थी दिन*
विश्व शरणार्थी दिवस एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसे हर साल 20 जून को मनाया जाता है। यह दिवस विश्व स्तर पर विचारशीलता और संयुक्त प्रयास को बढ़ावा देने का एक अवसर है, जिसका उद्देश्य शरणार्थी मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उनकी संरक्षा और सहायता करने के लिए संगठनों, सरकारों और जनता को एकत्रित करना है।
शरणार्थी, जो अपने देश से या निवासस्थान से विभाजन, युद्ध, प्राकृतिक आपदा या मनुष्यों के अत्याचार की वजह से अपने घर को छोड़कर अन्य स्थान में सुरक्षा ढूंढ़ रहे होते हैं। उनकी संरक्षा, रक्षा और मानवीय अधिकारों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, और विश्व शरणार्थी दिवस हमें इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है।
इस दिवस के माध्यम से, विभिन्न सरकारों, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों और स्थानीय समुदायों को शरणार्थियों की सुरक्षा और उनकी सहायता करने के लिए एकत्रित होने का अवसर मिलता है। यह दिन अवसर प्रदान करता है कि हम अपने समाज में शरणार्थियों के प्रति संवेदनशीलता और सहयोग का आदर्श बनाएं और उन्हें समानता, अधिकार और सुरक्षा की दृष्टि से देखें।
विश्व शरणार्थी दिवस न केवल एक जागरूकता अभियान है, बल्कि यह एक अवसर भी है जब हम संयुक्त प्रयास करके समस्याओं का समाधान ढूंढ़ सकते हैं। अन्य लोगों की मदद करके, विभाजन और अस्थायी आपदाओं के पीड़ित लोगों को स्थायी आवास और सुरक्षा प्रदान करके और उन्हें मानवीय दया और सम्मान के साथ स्वीकार करके हम एक समरस और समग्र विश्व की ओर प्रगति कर सकते हैं।
इसलिए, हर साल विश्व शरणार्थी दिवस का आयोजन करके हम शरणार्थियों के मुद्दों को ध्यान में रख सकते हैं और समूह में मिलकर उनकी संरक्षा और सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हमें स्थानीय और वैश्विक स्तर पर अधिक समरसता, अवसर, और समानता का मार्ग दिखा सकता है, जिससे हम एक समृद्ध और समरस विश्व की ओर प्रगति कर सकते हैं।
शरणार्थी किसे कहते हैं:
शरणार्थी वे व्यक्ति होते हैं जो अपने देश से अपनी निवासस्थान छोड़कर दूसरे देशों में सुरक्षा और सुरक्षितता की तलाश में होते हैं। ये लोग घरेलू हिंसा, युद्ध, नागरिक लड़ाई, न्याय और मानवाधिकारों की उल्लंघना, प्राकृतिक आपदा, धर्मांतरण या अन्य अवस्थाओं के कारण अपने देश को छोड़ना पड़ता हैं।
शरणार्थी शब्द अंतर्राष्ट्रीय कानून में प्रयोग होने वाला है और इसे किसी व्यक्ति को दायित्वपूर्वक संरक्षण और मदद प्रदान करने के लिए दूसरे देशों में कानूनी संरक्षण देने का अधिकार देता है। इसे सुरक्षा, शरण, अस्थायी स्थानिकता या अन्य उपयुक्त शब्दों से भी संक्षेप में व्यक्त किया जाता है। शरणार्थी को निवासी, प्रावासी, विदेशी लोग, अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण का अधिकारी आदि नामों से भी जाना जाता है।
विश्व शरणार्थी दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या हैं:
विश्व शरणार्थी दिवस का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
1.जागरूकता बढ़ाना: यह दिवस लोगों को शरणार्थी मुद्दों के प्रति जागरूक करने का महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। इसके माध्यम से, लोगों को शरणार्थी समुदाय की संघर्षों, चुनौतियों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
2.सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करना: इस दिन लोगों को शरणार्थी समुदाय के प्रति सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करने का उद्देश्य होता है। इससे उन्हें आवाज उठाने और उनके मुद्दों को ध्यान में रखने के लिए प्रेरित किया जाता है।
3.अधिकारों की संरक्षा करना: यह दिवस शरणार्थी समुदाय के अधिकारों की संरक्षा करने का महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। इसके माध्यम से, जागरूकता बढ़ाने, न्यायाधीशों, सरकारों और अन्य संगठनों को शरणार्थियों के अधिकारों की संरक्षा करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
4.समरसता और सहयोग को प्रमोट करना: यह दिवस समरसता, सहयोग और विभाजन के बजाय एकता को प्रमोट करने का उद्देश्य रखता है। इसके माध्यम से, लोगों को यह समझाने का प्रयास किया जाता है कि हम सभी एक ही मानवीय परिवार के हिस्से हैं और हमें एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।
यह उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य संगठनों द्वारा समर्थित होते हैं और विश्व शरणार्थी दिवस के माध्यम से इन उद्देश्यों को प्रमोट किया जाता है।
शरणार्थी यानि शरण में उपस्थित असहाय, लाचार, निराश्रय तथा रक्षा चाहने वाले व्यक्ति या उनकेit समूह को कहते हैं। इसे अंग्रेजी भाषा में Refugee लिखा व सम्बोधित किया जाता है। इस प्रकार वह व्यक्ति विशेष या उनका समूह जो किसी भी कारणवश अपना घरबार या देश छोड़कर अन्यत्र के शरणांगत हो जाता है, वह शरणार्थी कहलाता है। उदाहरण के लिये सीरिया में जंग छिड़ने की वजह से वहां के लाखों नागरिक दूसरे मुल्कों में शरणार्थी बनकर शरण ले रहे हैं। भारत में शरणार्थियों के आने का इतिहास बहुत पुराना है और भारत में बसे कानूनी और गैरकानूनी शरणार्थियों की जनसँख्या कई विकसित देशों की जनसँख्या से भी ज्यादा है। आमतौर पर अनभिज्ञता वश लोग कई बार के लिये भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब, सिन्ध आदि प्रदेशों के लाखों लोग जो अपना घरबार छोड़कर भारत के विभिन्न भागों में आकर बस गये थे उन्हें भी शरणार्थी मान लेते हैं, परंतु यह घटना पूर्ण रूप से शरणार्थी शब्द को परिभाषित नही करता, क्योंकि जो लोग पाकिस्तान से भागकर भारत में बस गए उन्हें एक नागरिक के तौर पर रहने का अधिकार विभाजन के समय दिया गया था। भारत में विभाजन के बाद आये लोगों को छोड दे तो भी आज़ादी के बाद काफी शरणार्थी आये। उदाहरण के लिए तिब्बत के शरणार्थी और बांग्लादेश से आये कानूनी गैर-कानूनी शरणार्थी
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